Tuesday, October 13, 2009

हर उम्मीद मौन है......




निःशब्द निगाहों में हजारों सवाल पलते है,
खफा नही है दिल ज़िन्दगी से, हैरानी है इश्क पर,
क्यूँ मोहब्बत है आज भी उनसे......
चाहतों के गहरे सागर पर यादों की लहरें मचलती है।
बना था जो फुल प्यार की निशानी,
आज मंज़र है कि वही फुल दर्द कि कलम बन बैठा,
निगाहों ने दी अश्क कि स्याही
और
ए़क सवाल फ़िर लिख दिया
"गुज़रा हुआ कल वो है...
आज संग यादों में हर पल वो है.....
आने वाले सवेरे की भौर वो....
वो है या नही........?"
बस इसी खयाल से हर उम्मीद मौन है।


2 comments:

  1. ek maun gahi hui dhaago mein , uljhi hui door tak magar , chaah jabaan ki dabti nahi bhavnaoo ke tufaan mein...

    atisundar.....liked wid iner soul

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  2. bahut sunder varsha... kafi gahri kawita hai... bahut khub..

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