Saturday, October 24, 2009

ये लम्हे कल मिले न मिले.....


चाँद से पूछो चांदनी से कितनी मोहब्बत है।
रात से पूछो रौशनी से कितनी मोहब्बत है।
साहील से पूछो लहरों से कितनी मोहब्बत है।
ये सब सुनाएंगे मोहब्बत की दास्तान,
उस पल में तुम्हारी आँखों में नमी,
होठों पर हँसी होगी।
आँखे मूँद लेना,
तुम्हारी निगाहों में
हमारे प्यार की दुनिया सितारों से सजी होगी!
इन प्यारे से प्यार के लम्हों को
यादों में समेट लो,
क्या जाने ये लम्हे कल मिले न मिले.......

Tuesday, October 13, 2009

लम्हा ए़क चुराना था.......


लम्हा ए़क चुराना था,
ज़िन्दगी को हँसाना था।
देखकर दुनिया की चमक-दमक,
चल दिए उन राहों पर,
जहाँ गम में भी हरदम मुस्कुराना था।
हर पल चाहा नगमे खुशी के लिखे,
जब भी कुछ लिखा,
हर नज़्म में दर्द,
हर लफ्ज़ पुराना था।
ले गया वक्त छिनकर,
वो वक्त सुहाना था,
हर पल में था अपनापन,
वो बचपन ही तो था,
जो हमारा था।
किससे कहे दास्ताँ इस दिल की,
जिसे अपना समझा,
वही शख्स तो था,
जो बेगाना था।
लम्हा ए़क चुराना था,
ज़िन्दगी को हँसाना था.......

हर उम्मीद मौन है......




निःशब्द निगाहों में हजारों सवाल पलते है,
खफा नही है दिल ज़िन्दगी से, हैरानी है इश्क पर,
क्यूँ मोहब्बत है आज भी उनसे......
चाहतों के गहरे सागर पर यादों की लहरें मचलती है।
बना था जो फुल प्यार की निशानी,
आज मंज़र है कि वही फुल दर्द कि कलम बन बैठा,
निगाहों ने दी अश्क कि स्याही
और
ए़क सवाल फ़िर लिख दिया
"गुज़रा हुआ कल वो है...
आज संग यादों में हर पल वो है.....
आने वाले सवेरे की भौर वो....
वो है या नही........?"
बस इसी खयाल से हर उम्मीद मौन है।


Friday, October 9, 2009

• » इश्क « •


कोई राज़ को नाराज़ कहता है,
कोई शाद को नाशाद कहता है.....
समझने देखने का अपना नजरिया है.
इश्क तो हर कोई करता है पर,
इश्क कि इस दुनिया में 'रैन'
कोई खुद को आबाद कहता है,
कोई खुद को बर्बाद कहता है.....

●๋•तमन्ना.......●๋•


तमन्ना अजीब दास्ताँ होती है ज़िन्दगी कि.
आज गम कल ख़ुशी यही हकीकत होती है ज़िन्दगी कि.
सही क्या था,
और क्या होगा,
कोई नही जनता,
ये राजदार होती है ज़िन्दगी कि.
कभी उल्फत,
कभी नफरत,
कभी महफ़िल,
कभी तन्हाई,
यही कहानी होती है ज़िन्दगी कि.
आबाद तो कही बर्बाद,
मेहरबान तो कही कदरदान,
तो कही गुनाहगार होती है ज़िन्दगी कि.
तमन्ना है अजीब दास्ताँ,
जो होती है सबसे प्यारी चाहत ज़िन्दगी कि......

«╬♥इजाज़त ♥╬«


इजाज़त हो कुछ लिख दे,

अपने लफ्जो को कविता भरा मोड़ दे.

दुआ है बुरइयो को अच्छइयो के लिए छोड़ दे,

देखे कौन सी राह पर है मंज़िल और सपनो को हौसलों से जोड़ दे.

इतना प्यार दे ज़िन्दगी को कि नफरते ज़िन्दगी कि राहे छोड़ दे,

शहादत होगी यदि गलतियों का इकरार होगा,

हमारी बातों पर भी एतबार होगा,

अपनी तमन्नाए किस्मत को सौप दे.

इजाज़त हो कुछ लिख दे,

अपने लफ्जो को कविता भरा मोड़ दे....