
ज़िन्दगी को चाह था,
ज़िन्दगी को माँगा था।
जिससे किया बेइन्तेहाँ प्यार,
वो अपना नही पराया था।
कुछ बिसराए से लम्हे जब
यादों के घर में आए।
शामिल उसमे हर पल,
दर्द का स्पर्श अंजना था।
अब ना है आहट किसी के आने की
ना है चाहत ज़िन्दगी को पाने की
ले गया छिनकर हर 'जुस्तजू'
वो गुज़रा हुआ कल जो हमारा था।
ज़िन्दगी को माँगा था।
जिससे किया बेइन्तेहाँ प्यार,
वो अपना नही पराया था।
कुछ बिसराए से लम्हे जब
यादों के घर में आए।
शामिल उसमे हर पल,
दर्द का स्पर्श अंजना था।
अब ना है आहट किसी के आने की
ना है चाहत ज़िन्दगी को पाने की
ले गया छिनकर हर 'जुस्तजू'
वो गुज़रा हुआ कल जो हमारा था।
sunder rain,,,, so nice and pain bhi hai jo hota hi hai iishk me... gud work...
ReplyDeleteso much pain in this poem varsha .... achha likha hai ... God bless you
ReplyDeletebahut khoob wah wah
ReplyDeletehey the r really gud one...
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