Sunday, January 3, 2010

●๋•अधूरी आस........ ●๋•


राज़ गर कहना चाहे तो कैसे कहें,
ज़िन्दगी हर मोड़ पर ए़क कहानी, ए़क नई दास्ताँ कहती है
हर शख्स के ज़हन मे कुछ गहराइयाँ दफ़न होती है
मिल जाए लाख जन्नत--महफिल तो क्या,
दिल के किसी कोने में ए़क अधूरी आस सोती है
तड़पता है साहिल भी अपनी बात कहने को,
पर अल्फाज़ जुबां तक आने से पहले लहर साहिल छोड़ देती है
अनगिनत तमन्नाओं के बीच मचलती है ए़क ख्वाहिश,
जब मिलता है मौका तकदीर साथ छोड़ देती है

2 comments:

  1. ye puri nazm dil me utarnewali hai.....
    mujhe bahut chhu gayi........thanks......
    didi ko emotional kar diya.....
    अनगिनत तमन्नाओं के बिच मचलती है ए़क ख्वाहिश,
    जब मिलता है मौका तकदीर साथ छोड़ देती है।

    बिच ---- beech hoga ----bich ka spelling mistake hai

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