Tuesday, January 5, 2010

ܔܢܜܔकभी-कभी मन (๏̯͡๏)


कभी-कभी मन बहुत उदास हो जाता है ये सोचकर कि शायद
मेरे टूटे हुए दिल का ए़क टुकड़ा आज भी उसके पास है
तभी तो भीड़ भरी महफिल से दूर निकल जाता है दिल
तनहाइयों में अकेला उसे ढूंढने
उन यादों में जो अब जीने का सहारा है
चाहत आज भी मचलती है मेरी रूह में उसके लिये
भूल गया है वो तो क्या हुआ,
उसका भुलाया हुआ दर्द ही सही
दिल से जुड़ा ये दर्द तो हमारा है
अपने हर नगमे, हर नज़्म में
उसकी कहानियाँ लिख दी मैंने,
पर यादों का महल आज भी पुराना है
कैसे कहू उसे कि क्या छिना है उसने मुझसे
मेरी उदासियों में छुपा मेरा गुज़रा हुआ वक्त सुहाना है
कहदे कोई जाकर उसे कि लौटादे वो मोहब्बत मेरी,
नहीं भुला मेरा दिल उसके दिए जख्मों को
ये पागल आज भी उसकी बेवफा मोहब्बत में दीवाना है

2 comments:

  1. tute dil se jab awaj ati h to isi tarah ki rachnao ka nirmand hota h,,,,,,keep it up.....

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  2. bahut khub rain .... bahut khub ....

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