Monday, January 4, 2010

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ये वादियाँ, ये नज़ारें ए़क कहानी कहते है....
मुस्कुराकर निगाहों में दिल कि ज़ुबानी कहते है।
कहता है आसमां कि तू है मेरी पनाहों में,
धरती के रास्ते मज़िलें सुहानी कहते है।
डरती हु आगे बढने से,
मिल जाए कोई अजनबी फिर से........
बीते हुए लम्हे दास्ताँ पुरानी कहते है।
सुनाई ये दास्ताँ कुदरत को जो मैंने,
कुदरत के ये नज़ारे मुझे दीवानी कहते है

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