Wednesday, January 13, 2010

●๋•जुस्तजू ●๋•


ज़िन्दगी को चाह था,
ज़िन्दगी को माँगा था।
जिससे किया बेइन्तेहाँ प्यार,
वो अपना नही पराया था।
कुछ बिसराए से लम्हे जब
यादों के घर में आए।
शामिल उसमे हर पल,
दर्द का स्पर्श अंजना था।
अब ना है आहट किसी के आने की
ना है चाहत ज़िन्दगी को पाने की
ले गया छिनकर हर 'जुस्तजू'
वो गुज़रा हुआ कल जो हमारा था।

°ღ•मोहब्बत ●•٠·˙

ज़िन्दगी मोहब्बत के लिए मिली है,
इसे मोहब्बत से जीने दो।
मोहब्बत गर जान लेना चाहे,
इसे मोहब्बत के लिए मरने दो।
मिलता नही हर किसी को
ये मोहब्बत का जहाँ
जिस जगह मोहब्बत नही
खुशियाँ है फिर कहाँ।
राहों से राहें मिलेंगी ...
ये मोहब्बत मंजिल तक पहुंचाएगी
मोहब्बत का साथ पाकर,
ये ज़िन्दगी संवर जाएगी।
साँसों में महकती है
आपकी मोहब्बत खुशबु बनकर।
हर लम्हा आँखों में मुस्कुराती है
आपकी तस्वीर बनकर।
जी लेने दो हमे इस उम्मीद पर,
कि पालेंगे हम आपको
फिर चाहे तमन्ना पूरी हो न हो ,
हमें अपनी ये ज़िन्दगी
आपकी मोहब्बत के नाम कर लेने दो।



Friday, January 8, 2010

●๋•एहसास ●๋•

जब कोई पास होता है
बहुत अपना और खास होता है
वही उम्र भर साथ रहने कि आस होता है
कहीं उसे खो दूँ ,
यही सोचकर दिल उदास होता है
चमकता है आँखों में,
महकता है सांसों में,
दिल क़ी धड़कने है जिसकी निशानी,
कुर्बान है जिस पर ये ज़िन्दगानी,
वो कुछ और नही सच्ची मोहब्बत का एहसास होता है

Wednesday, January 6, 2010

●๋•तसव्वुर........ ●๋•


दिल में सजी है तस्वीर आपकी,
इसी तसव्वुर में आपको देख लिया करते है।
जब भी होते है तन्हा, अकेले
यादों में आपको पास बुला लिया करते है।
होठों पर होते नही अल्फाज़ कोई भी
फिर भी आपके ख्यालों से बाते किया करते है।
दिन हो या रात हो तपती धुप-छाँव या बरसात हो
हर घड़ी, हर पल, हम ज़िन्दगी की हर साँस
आपके साथ जिया करते है

Tuesday, January 5, 2010

ܔܢܜܔकभी-कभी मन (๏̯͡๏)


कभी-कभी मन बहुत उदास हो जाता है ये सोचकर कि शायद
मेरे टूटे हुए दिल का ए़क टुकड़ा आज भी उसके पास है
तभी तो भीड़ भरी महफिल से दूर निकल जाता है दिल
तनहाइयों में अकेला उसे ढूंढने
उन यादों में जो अब जीने का सहारा है
चाहत आज भी मचलती है मेरी रूह में उसके लिये
भूल गया है वो तो क्या हुआ,
उसका भुलाया हुआ दर्द ही सही
दिल से जुड़ा ये दर्द तो हमारा है
अपने हर नगमे, हर नज़्म में
उसकी कहानियाँ लिख दी मैंने,
पर यादों का महल आज भी पुराना है
कैसे कहू उसे कि क्या छिना है उसने मुझसे
मेरी उदासियों में छुपा मेरा गुज़रा हुआ वक्त सुहाना है
कहदे कोई जाकर उसे कि लौटादे वो मोहब्बत मेरी,
नहीं भुला मेरा दिल उसके दिए जख्मों को
ये पागल आज भी उसकी बेवफा मोहब्बत में दीवाना है

Monday, January 4, 2010

• » .ये वादियाँ, ये नज़ारें ए़क कहानी कहते है.... « •


ये वादियाँ, ये नज़ारें ए़क कहानी कहते है....
मुस्कुराकर निगाहों में दिल कि ज़ुबानी कहते है।
कहता है आसमां कि तू है मेरी पनाहों में,
धरती के रास्ते मज़िलें सुहानी कहते है।
डरती हु आगे बढने से,
मिल जाए कोई अजनबी फिर से........
बीते हुए लम्हे दास्ताँ पुरानी कहते है।
सुनाई ये दास्ताँ कुदरत को जो मैंने,
कुदरत के ये नज़ारे मुझे दीवानी कहते है

Sunday, January 3, 2010

●๋•अधूरी आस........ ●๋•


राज़ गर कहना चाहे तो कैसे कहें,
ज़िन्दगी हर मोड़ पर ए़क कहानी, ए़क नई दास्ताँ कहती है
हर शख्स के ज़हन मे कुछ गहराइयाँ दफ़न होती है
मिल जाए लाख जन्नत--महफिल तो क्या,
दिल के किसी कोने में ए़क अधूरी आस सोती है
तड़पता है साहिल भी अपनी बात कहने को,
पर अल्फाज़ जुबां तक आने से पहले लहर साहिल छोड़ देती है
अनगिनत तमन्नाओं के बीच मचलती है ए़क ख्वाहिश,
जब मिलता है मौका तकदीर साथ छोड़ देती है