Wednesday, September 8, 2010

°ღ•कसूर आँखों का है...... ●•٠·˙


कसूर आँखों का है और जुदाई आंसुओं
को मिलती है
आज के बदलते मौसम में मोहब्बत क्यों इतनी महंगी है
हम चाहते है जिन्हें दिल से, वो अपनी ख्वाहिशें मांगते है
मोहब्बत दिल में ही मर जाती है और,
लोग बस जिंदगियों से खेलना जानते है
नादान है जो कहते है...
" कुछ हासिल नही होता मोहब्बत में..."
अरे यही तो ज़िन्दगी का असली आइना दिखाती है
मोहब्बत करके तो देख 'रैन',
फरेब से मुलाकात हो जाएगी...
लौटकर ना आसकेगी ज़िन्दगी और,
बर्बादी दामन में सो जाएगी....
आज है मोहब्बत तुम्हे किसी से,
कल खुद से भी नफ़रत हो जाएगी....
किसी और की परछाई बने फिरते हो,
कल खुद की ही परछाई खोजाएगी....
मोहब्बत दिल करेगा और....
रुसवाई दिमाग से हो जाएगी,
कसूर आँखों का होगा और,
जुदाई आंसुओं को मिल जाएगीI
इसे मेरा लेख या कविता समझकर भूल ना जाना दोस्तों.......
याद रखना.....
जब आएगी मोहब्बत
सिर्फ हसी साथ लाएगी,
पर जब जाएगी....
तो इतने सरे दर्द सौगात में दे जाएगी....
ना खुद मुस्कुरा सकोगे,
ना किसी और को ख़ुशी दे पाओगे,
इस कदर ये ज़िन्दगी तुमसे रूठ जाएगी....
कसूर आँखों का होगा और जुदाई आंसुओं को मिल जाएगी

Sunday, March 7, 2010

●๋•दर्द ●๋•


आँखों में थी ए़क आस
दिल में था विश्वास
आया जब गम मेरे पास
मुझको नही था एहसास
महफिलों में तन्हैयाँ मुस्कुराई
खो गई वो यादें भी
जो मेने तेरे ख्यालों में थी सजाई
तुझसे तो कह दिया
भुला दिया मेने तुझे
पर मेरी ये धड़कने तुझे
अब तक न भूल पाई
ये पल उदास है,
मेरा मन उदास है
इतने दर्द दिए वक्त ने कि
खुद पर न अब विश्वास है
वक्त जब भी मिला मुझसे
ए़क नए रूप में सामने आया
बेदर्द इस ज़िन्दगी ने मुझे
मेरी ही नज़रों में गुनाहगार बनाया
क्यूँ होती है ज़िन्दगी इतनी ज़ालिम
क्यूँ लाकर छोड़ देती है उन राहों पर
जहाँ दूर तक न हो कोई मंज़िल
क्यूँ रहता है खुशियों का इंतज़ार
जब पता है तक़दीर ग़मों से सजी है
सवालों पर चलता है मन
और मेरे पास कोई जवाब नही है
टूटकर बिखर गया हर अल्फाज़ जो बंधा था
मेरी यादों, मेरी तन्हाईयों से
मेरी ही तमन्ना क्यूँ मेरे ही लिए आज
ए़क अनकही दास्ताँ बन गई है

Wednesday, January 13, 2010

●๋•जुस्तजू ●๋•


ज़िन्दगी को चाह था,
ज़िन्दगी को माँगा था।
जिससे किया बेइन्तेहाँ प्यार,
वो अपना नही पराया था।
कुछ बिसराए से लम्हे जब
यादों के घर में आए।
शामिल उसमे हर पल,
दर्द का स्पर्श अंजना था।
अब ना है आहट किसी के आने की
ना है चाहत ज़िन्दगी को पाने की
ले गया छिनकर हर 'जुस्तजू'
वो गुज़रा हुआ कल जो हमारा था।

°ღ•मोहब्बत ●•٠·˙

ज़िन्दगी मोहब्बत के लिए मिली है,
इसे मोहब्बत से जीने दो।
मोहब्बत गर जान लेना चाहे,
इसे मोहब्बत के लिए मरने दो।
मिलता नही हर किसी को
ये मोहब्बत का जहाँ
जिस जगह मोहब्बत नही
खुशियाँ है फिर कहाँ।
राहों से राहें मिलेंगी ...
ये मोहब्बत मंजिल तक पहुंचाएगी
मोहब्बत का साथ पाकर,
ये ज़िन्दगी संवर जाएगी।
साँसों में महकती है
आपकी मोहब्बत खुशबु बनकर।
हर लम्हा आँखों में मुस्कुराती है
आपकी तस्वीर बनकर।
जी लेने दो हमे इस उम्मीद पर,
कि पालेंगे हम आपको
फिर चाहे तमन्ना पूरी हो न हो ,
हमें अपनी ये ज़िन्दगी
आपकी मोहब्बत के नाम कर लेने दो।



Friday, January 8, 2010

●๋•एहसास ●๋•

जब कोई पास होता है
बहुत अपना और खास होता है
वही उम्र भर साथ रहने कि आस होता है
कहीं उसे खो दूँ ,
यही सोचकर दिल उदास होता है
चमकता है आँखों में,
महकता है सांसों में,
दिल क़ी धड़कने है जिसकी निशानी,
कुर्बान है जिस पर ये ज़िन्दगानी,
वो कुछ और नही सच्ची मोहब्बत का एहसास होता है

Wednesday, January 6, 2010

●๋•तसव्वुर........ ●๋•


दिल में सजी है तस्वीर आपकी,
इसी तसव्वुर में आपको देख लिया करते है।
जब भी होते है तन्हा, अकेले
यादों में आपको पास बुला लिया करते है।
होठों पर होते नही अल्फाज़ कोई भी
फिर भी आपके ख्यालों से बाते किया करते है।
दिन हो या रात हो तपती धुप-छाँव या बरसात हो
हर घड़ी, हर पल, हम ज़िन्दगी की हर साँस
आपके साथ जिया करते है

Tuesday, January 5, 2010

ܔܢܜܔकभी-कभी मन (๏̯͡๏)


कभी-कभी मन बहुत उदास हो जाता है ये सोचकर कि शायद
मेरे टूटे हुए दिल का ए़क टुकड़ा आज भी उसके पास है
तभी तो भीड़ भरी महफिल से दूर निकल जाता है दिल
तनहाइयों में अकेला उसे ढूंढने
उन यादों में जो अब जीने का सहारा है
चाहत आज भी मचलती है मेरी रूह में उसके लिये
भूल गया है वो तो क्या हुआ,
उसका भुलाया हुआ दर्द ही सही
दिल से जुड़ा ये दर्द तो हमारा है
अपने हर नगमे, हर नज़्म में
उसकी कहानियाँ लिख दी मैंने,
पर यादों का महल आज भी पुराना है
कैसे कहू उसे कि क्या छिना है उसने मुझसे
मेरी उदासियों में छुपा मेरा गुज़रा हुआ वक्त सुहाना है
कहदे कोई जाकर उसे कि लौटादे वो मोहब्बत मेरी,
नहीं भुला मेरा दिल उसके दिए जख्मों को
ये पागल आज भी उसकी बेवफा मोहब्बत में दीवाना है

Monday, January 4, 2010

• » .ये वादियाँ, ये नज़ारें ए़क कहानी कहते है.... « •


ये वादियाँ, ये नज़ारें ए़क कहानी कहते है....
मुस्कुराकर निगाहों में दिल कि ज़ुबानी कहते है।
कहता है आसमां कि तू है मेरी पनाहों में,
धरती के रास्ते मज़िलें सुहानी कहते है।
डरती हु आगे बढने से,
मिल जाए कोई अजनबी फिर से........
बीते हुए लम्हे दास्ताँ पुरानी कहते है।
सुनाई ये दास्ताँ कुदरत को जो मैंने,
कुदरत के ये नज़ारे मुझे दीवानी कहते है

Sunday, January 3, 2010

●๋•अधूरी आस........ ●๋•


राज़ गर कहना चाहे तो कैसे कहें,
ज़िन्दगी हर मोड़ पर ए़क कहानी, ए़क नई दास्ताँ कहती है
हर शख्स के ज़हन मे कुछ गहराइयाँ दफ़न होती है
मिल जाए लाख जन्नत--महफिल तो क्या,
दिल के किसी कोने में ए़क अधूरी आस सोती है
तड़पता है साहिल भी अपनी बात कहने को,
पर अल्फाज़ जुबां तक आने से पहले लहर साहिल छोड़ देती है
अनगिनत तमन्नाओं के बीच मचलती है ए़क ख्वाहिश,
जब मिलता है मौका तकदीर साथ छोड़ देती है