Thursday, November 5, 2009

अजनबी


चलते चलते राहों में यूँही मिल जाते है अजनबी

हम समझते है वो हमारे है पर पलक झपकते ही

आने वाले कल में बीते कल का राज़ बन जाते है अजनबी

सांसों की माला में नाम उन्ही का जपता है ये दिल

आंखे सजाती है हर पल नया ख्वाब उनके लिए

बिच राह में छोड़ कर साथ, हर सपना तोड़ जाते है अजनबी

ख़ुद अपनाते नही और अपनों से बेगाना बना जाते है अजनबी

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