
चलते चलते राहों में यूँही मिल जाते है अजनबी
हम समझते है वो हमारे है पर पलक झपकते ही
आने वाले कल में बीते कल का राज़ बन जाते है अजनबी
सांसों की माला में नाम उन्ही का जपता है ये दिल
आंखे सजाती है हर पल नया ख्वाब उनके लिए
बिच राह में छोड़ कर साथ, हर सपना तोड़ जाते है अजनबी
ख़ुद अपनाते नही और अपनों से बेगाना बना जाते है अजनबी
hmmm... kafi khub rain... keep it up.. bahut khub..
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