Thursday, July 2, 2015
**तेरी अदा**
ऊपर वाले
तेरी अदा
भी निराली है।
जिसे तूने बनाया,
देख उसे.....
कभी ख़ुशी है,
कभी आँखों में पानी है।
रोज़ चलता है समय उपन्यास बनकर
हर पल कविता,
हर दिन कहानी है।
देखी जब-जब इसकी 'रैन '……
दिन नया, रात पुरानी है।
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