
आँखों में थी ए़क आस
दिल में था विश्वास
आया जब गम मेरे पास
मुझको नही था एहसास
महफिलों में तन्हैयाँ मुस्कुराई
खो गई वो यादें भी
जो मेने तेरे ख्यालों में थी सजाई
तुझसे तो कह दिया
भुला दिया मेने तुझे
पर मेरी ये धड़कने तुझे
अब तक न भूल पाई
ये पल उदास है,
मेरा मन उदास है
इतने दर्द दिए वक्त ने कि
खुद पर न अब विश्वास है
वक्त जब भी मिला मुझसे
ए़क नए रूप में सामने आया
बेदर्द इस ज़िन्दगी ने मुझे
मेरी ही नज़रों में गुनाहगार बनाया
क्यूँ होती है ज़िन्दगी इतनी ज़ालिम
क्यूँ लाकर छोड़ देती है उन राहों पर
जहाँ दूर तक न हो कोई मंज़िल
क्यूँ रहता है खुशियों का इंतज़ार
जब पता है तक़दीर ग़मों से सजी है
सवालों पर चलता है मन
और मेरे पास कोई जवाब नही है
टूटकर बिखर गया हर अल्फाज़ जो बंधा था
मेरी यादों, मेरी तन्हाईयों से
मेरी ही तमन्ना क्यूँ मेरे ही लिए आज
ए़क अनकही दास्ताँ बन गई है
takdeer gamo se bhi saji hai or khusi se bhi or dono ke milne se hi jindgi khoobsoorat banti hai.
ReplyDeletebahut acche se dard ko bayan kiya hai
मेरी यादों, मेरी तन्हाईयों से
ReplyDeleteमेरी ही तमन्ना क्यूँ मेरे ही लिए आज
ए़क अनकही दास्ताँ बन गई है
very touching line
versha