Wednesday, December 30, 2009

●๋•अश्कों कि स्याही से....... ●๋•


अश्कों कि स्याही से लिखना था ए़क कविता,
इतना प्यार मिला तुझसे,
इस प्यार ने तेरे मुझे रोने दिया
दिल तडपता है तेरी यादों में पर,
टूट जाए कसम तेरी,
इसलिए निगाहों को अपनी भीगने दिया
अरसे के बाद मिला था दीदार तेरा
खुद को इतना सम्हाला कि
तुझसे मिलने दिया
बैठी हूँ इंतजार की उदासी में,
कि मिल जाए फिर से दीदार तेरा
लिखना था यादों के पन्नो पर
तेरी जुदाई का फसाना
पर आलम यूँ हुआ,
कि निगाहों में कैद अश्को ने कुछ लिखने दिया
अश्कों कि स्याही से लिखना था ए़क कविता,
इतना प्यार मिला तुझसे,
इस प्यार ने तेरे मुझे रोने दिया

Friday, December 18, 2009

●๋• शायरी से कविता बनकर मै .... ●๋•


ज़िन्दगी ए़क शायराना पल है,
जिसमे ए़क शायर का हर पल शामिल होता है
चाहे वो गम की घडी हो या ख़ुशी की महफ़िल
शायर जब भी शायरी करता है
तब हर श्रोता तालिया बजाकर वाह-वाह करता है
क्युकी हर श्रोता के लिए वो सिर्फ ए़क मनोरंजन मात्र लम्हा है
पर ए़क शायर के लिए वो ए़क दर्द होता है जो उसका जीवन है
फिर चाहे वो ख़ुशी की महफ़िल हो या गम की घड़ी....
क्या किसी ने महसूस किया है उस दर्द को!
मैंने किया है क्यूकि शायद मै भी ए़क शायर थी
जिसकी ज़िन्दगी ए़क शायरी पर शुरू हुई और ए़क कविता बन गई यूँही
सच ज़िन्दगी ए़क शायराना पल है,
जो हर पल ए़क अधूरी कविता है.......
दिल की ज़ुबां से दिल की कहानी
शायरी से कविता बनकर........
"
मै "



Tuesday, December 15, 2009

●๋•एहसास खुशी का दो पल रहा..... ●๋•


एहसा खुशी का दो पल रहा,
गम सदियों से गुजरते है
जानते है दर्द ही दोगे हमे,
दिल फ़िर भी तुम्हारे नाम करते है
रूठी है जैसे हँसी लबों से,
अश्क आँखों से बहते है
याद करके मोहब्बत आपकी हम दिन-रात रोते है
खयालों की बात बनी है मुलाकात तुमसे,
फ़िर भी मिलो तुम हमसे,
हर साँस दुआएं करते है
एहसास खुशी का दो पल रहा गम सदियों से गुजरते है

Monday, December 7, 2009

●๋•शायद ज़िन्दगी ए़क प्रश्न चिन्ह है ●๋•

अकेला जीता है इन्सान।
ख्वाहिशों की राह पर चलता है
इस उम्मीद पर कि कर लेगा हर तमन्ना वो पुरी,
उसे हासिल होगी मंज़िल वही जो वो चाहता है।
पर ज़िन्दगी कुछ और ही कहानी गढ़ती है,
जो कि भ्रमित उपन्यास का रूप लेती है।
जहाँ वह जिसे अपना समझता है
वो बेगाना होता है
और जिससे बेगानों सा पेश आता है
वह उसे अपनाता है
हर कदम पर ख़ुद से, अपनों
से, समझोता करता है।
गर अपनी खुशी के लिए जीता है,
तो दुनिया के ताने उसे तिल-तिल मारते है।
गर दूसरों कि खुशी के लिए जीता है,
तो उसका अपना मन पल-पल उसे रुलाता, सताता है।
जब उसे राह चुनना होती है,
हर तरफ़ अँधेरा होता है।
जब फैसले कि सीढ़ी चढ़ जाता है।
तब हर कोई सलाह देता है :-
"एसा किया होता तो ठीक होता "
आखिर कहाँ थे सब जब जूझ रहा था,
वो दो राहे पर अकेला।
आस लगाए बैठा है कि कब समझ पाएगा
ज़िन्दगी को।
रोती है निगाहें, कैसी है हवाएँ।
कैसे मिलेगी मंजिलें।
हर जगह प्रश्न चिन्ह है
हाँ
शायद ज़िन्दगी ए़क प्रश्न चिन्ह है।

Sunday, December 6, 2009

●๋•यादों में उनकी कमी नज़र नही आती........ ●๋•


मोहब्बत का समन्दर देखा था निगाहों में उनकी।
आया इस कदर तूफां हमारी ज़िन्दगी के इस समंदर में कि
प्यार कि वो कश्ती नज़र नही आती।
दर्द भरी लहरों में छोड़ कर माझी साहिल पर मुस्कुराता है
और दिल को चैन की वो ज़मी नज़र नही आती।
रह-रह कर तडपाती है उनकी जुदाई इस कनीज़ को
और रो पड़ती है निगाहें तन्हाइयों में छुप-छुप कर
अपना गम छुपाते हुए
पर यादों में उनकी कमी नज़र नही आती।
नज़र से नज़र मिलती थी और पहचान लेते थे
वो दर्द दिल का,
उन्हें ही अब इन आँखों में नमी नज़र नही आती।